Wednesday 5 March 2008

देसी कहानियाँ, सेक्सी कहानियाँ, नाबलिकों का प्रवेश निषेध



अवैधानिक चेतावनी:- नाबालिग़ को ये कहानियां मानसिक रूप से विचलित कर सकती हैं,
कृपया किसी अप्रिय मनः स्थिती में न पड़ें

मैं, मेरी गर्लफ्रेंड और
वो
हाल ही मे मेरा अपनी गर्लफ्रेंड से बहुत झगडा हुआ। उसका कहना था की में अपनी पुरानी ज़िंदगी भूल जाऊँ और केवल उसके साथ ही रहूँ। पर में अपना पुराना संबंध छोड़ नहीं सकता था। क्योंकि उसको बनाए रखने के लिए मुझ पर दवाब था, अगर में उसको ख़त्म करता हूँ तो में अपनी इत्ज़त गवा दूंगा। बात उतनी सीधी नहीं है, दबाव डालने वाली वो लड़की मेरी सगी बहन है, और अगर में उससे अलग हो जाऊँ तो वो पापा-मम्मी को ये बता देगी की मेने उससे ज़बरदस्ती संबंध बनाए हैं। और में जैसा भी हूँ अपने पापा मम्मी के सामने अपनी इत्ज़त नहीं गवाना चाहता हूँ।
हर आदमी की ज़िंदगी में कुछ मेसे पल आते हैं जिसे वो भूल नहीं सकता, पल अच्छे हो सकते हैं या बुरे। कभी-कभी बुरी यादें जो आपको कचोड़ती हैं, अगर उसके threw आप ज़िंदगी का सबसे अच्छा पल भोग रहे हों तो इसे आप ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत यादों में समेटते वक्त ये भूल जाते हैं की इसका परिणाम कुछ और होता तो क्या होता। सिर्फ उस एक पल का कुछ अलग निर्णय आपकी ज़िंदगी बदल सकता था। अभी तो सब अच्छा लग रहा है पर आगे कहीं ये भेद खुल गया तो में लोगों के सामने अपना मुह काला नहीं करवाना चाहता।
बहोत पहले की बात है, जब में किशोर था करीब १५ साल का था तब से मुझे लड़कियों के प्रति नया नया आकर्षण पैदा हुआ, जो की लाज़मी है। पर अब जबकि मेरे से दो साल बड़ी बहन प्रिया (बदला हुआ नाम) १६-१७ साल की थी मुझसे दूर रहने लगी मानों मुझे अपोजिट सेक्स होने का एहसास दिला रही हो दूर-दूर बैठती, में पास में सो जाता तो तुरंत उठ जाती, कन्धों पर हाथ रख लो तो एक कदम दूर हट जाती, मुझसे ये रुखा व्यव्हार सहन नहीं हो रहा था, एक दिन बाथरूम से नहाकर निकली और मुझे एक साइड में बुलाया और एक खेंचकर थप्पड़ मारा, में सुट हो गया, पर मेंने कुछ रिएक्ट नहीं किया। वो बड़्बड़ाती हुई अपने रूम में चली गयी। में उसके रूम में गया, उसने मेरे पहुँचते ही जैसे की गुस्से के उबाल में मेरा ही इंतजार कर रही हो, उसने कड़क उन्गली मेरी तरफ दिखाते हुए कहा की दोबारा ऐसा किया तो मम्मी-पापा को बता दूंगी, इतनी मार पड़ेगी की सीधा हो जाएगा। मेने भी झल्लाते हुए पूछा मेने किया क्या है। उसने झट से मेरी बात काटी "ज्यादा बन मत, सब पता है तुझे, तूने क्या किया। मेने लाख पूछा पर वो कुछ नहीं बोली और मुझे कमरे से निकल जाने के लिए कहा।
माथा पकडे में बाहर आ गया, उस दिन मेरी उससे बात नहीं हुई। तब गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थी। पापा शाम को घर आये, प्रिया का मुह फुला हुआ देखकर मुझसे पूछा की लड़ाई वडाई तो नहीं की तो हम दोनों ने कुछ नहीं कहा। रात को दो घंटे तक मुझे नींद नहीं आयी, कि आखिर कौन सी बात हो गई, मेरे मन में बहुत सी आशंका थी, सुबह जब वो फिर नहाने के लिए गई तो में सोचने लगा कि बात क्या हो सकती है, और शक के बिना पर में छत पर चढ़ गया और मेरा शक सही निकला, छत पर से औंधे मुह लटका हुआ कोलोनी का लड़का बाथरूम के रोशनदान में झांक रहा था। मेरे मन में दो तरह कि बात आयी पहले तो उस पर गुस्सा आया, और एक बात ये भी आयी कि उसे कितना मज़ा आ रहा होगा देखते हुए। थोडे देर बाद वो एक दम झल्ला कर उठ बैठा और अपना मुह साफ करने लगा, उसपर अन्दर से प्रिया ने पानी फेक दीया था। पर वो वापस लेट गया और फिर झाँकने लगा, मेने भी उसे नहीं हटाया, में नीचे आ गया। प्रिया जब बाहर निकली तो उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट थी पर तब भी उसने मुझसे बाट नहीं की, शाम तक धीरे-धीरे एक दो शब्दों से बात चीत शुरू हुई, कुछ दिनों तक शायद ऐसा चलता रहा, में मन ही मन इस बात पर उत्तेजित होता रहता कि वो लड़का उसे नहाते हुए देखकर कितना खुश होता होगा। और प्रिया तो खुश दिखाई देती ही है। काश एसी किस्मत मेरी होती। प्रिया का कपड़े पहनने का ढंग ही बदलता जा रहा था। वो बड़ा गला और एक्सपोज़ करने वाले कपड़े पहनती। उसका रवैया मेरी तरफ भी बदलता जा रहा था। वो वापस मुझसे सटकर बैठने लगी थी। कई बार उसे ये पता होता था की में उसके बड़े गले से झलकते उसके बड़े-बड़े बूब्स फटी आंखों से देख रह हूँ पर वो इसपर रिएक्ट नहीं करती। हमेशा ऐसा लगता जैसे की उत्तेजित है, बस उकसाने भर की देर है। एक दिन मेंने मूड बनाया की आज में भी देखूंगा बाथरूम मी झाँककर। तो में गया छत पर, उस दिन वो लड़का नहीं आया, तो आज मेरी बारी थी, में लेट गया और मुंडी लटकाकर झाँकने लगा रोशनदान से अन्दर, वो बाथरूम में आयी और आते से ही खिड़की के बाहर मुझे देखा, में खिड़की की जली से इस तरह देख रहा था की सिर्फ मेरी आँखे ही नज़र आयें कोशिश यही थी की प्रिया को मेरी शकल नज़र ना आये। अन्दर से वो बोली क्या इरादा है, तुमने तो वादा किया था कि तुम आज अन्दर आओगे (वो कपडे उतारते हुए बोली) । मैने कुछ नही कहा। वो कपडे निकाल कर टब में लेट गयी और बोली इतने दिन से देख रहे हो अभी तक मन नहीं भरा। मेरी तो बोलती बंद थी, मैनें कहा क्या करें देखने के अलावा कुछ करने का मौका ही नहीं देती तुम, तो उसने कहा कि तुम्हें रोका किसने है अन्दर आ जाओ जो चाहे कर लो। मेने हकलाते हुए पूछा तुम्हारे घर पर तो कोई नहीं है ना। उसने मेरी बात काटी कहने लगी कि "सुबह ८.३० से शाम ५ बजे तक कोई नहीं होता पापा-मम्मी ओफीस में रहते हैं। अब मेने पूछा और तुम्हारे भाई ने देख लिया तो ? वो बोली :- वो तो गेला है, खुद लिफ्ट के इंतजार में है। लाइन में है, अब तुम आते हो या उसको बुला लूँ। तुम भी गेले ही हो, मौका है फिर भी बाहर खड़े हो। मेरा खड़ा हो चुका था मुझसे सहन नहीं हुआ, में भाग कर नीचे उतरा और दोड़ते हुए वहाँ तक पहुंचा, बाथरूम का दरवाज़ा खुला था। में एक पल को रुका और दम भरकर एक दम से अन्दर आ गया।
वो सामने टब में लेती थी। वो मुझे देखकर चोंक गई , मेने दरवाज़ा बंद कर लिया, वो हकला गई, कुछ का कुछ बोलने लगी। तू तो, वो तू था, में खडा रहा कुछ नहीं बोला। उसने पूछा तू ही था। रुक जा पापा से बताती हूँ फिर हकलाते हुए बोली पाप मम्मी को बताया न इसके बारे में तो देखना। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। अपने आप ही उसकी तरफ खिंचता चला गया और उसके टब में कूद गया। वो मुझ पर चिल्लाने लगी की क्या कर रहा है बाहर जा नहीं तो" इतना बोलने पर ही मेने उसका मुह बंद कर दीया। और उसकी धड़कन तेज़ होती गई। मेने अपने कपडे निकलने लगा वो केवल इतना बड़बड़ाती रही की यहाँ से बाहर निकल, ऐसा कर दूंगी, वैसा कर दूंगी। पर मुझे बाहर करने की कोशिश नहीं की, एक धक्का तक नहीं दिया, मतलब साफ था की वो खुद भी इस उत्तेजना को झेल नहीं पा रही थी। उसने कुछ नहीं पहना था और में उसके ऊपर निर्वस्त्र पड़ा था। मेने उसे कस कर जकड लिया, पानी में ही मेरा पूरी तरह तन गया था और उसके शरीर से छूने लगा। उसने आँखे बंद कर ली और ऊँची गर्दन करकर पड़ी हुई थी, होंठ कांप रहे थे, मेरे और उसके शरीर के बीच पानी हिलकर एक अलग ही एहसास पैदा कर रहा था, वो इतनी जल्दी पूरी तरह उत्तेजित हो गई कि अब कोई बंदिश नहीं थी। में अपनी किस्मत पर फुला नहीं समां रहा था। मेने अपने कांपते हुए होंठ उसके होंठो के करीब लाया और उसे चूम लिया, मेरी सांसे उसकी सांसों से मिलकर एक लय में चल रही थी। जब वो साँस छोड़ती टब में साँस ले रहा होता और जब में साँस छोड़ता तो वो साँस लेती। होंठों का संगम काफी देर तक चलता रहा, में उसके होंठों से छलकती सलाईवा की हर बूंद को अपने कंठ में समां लेना चाहता था और वो लौट पोत होने को जैसे तैयार थी। पहला सेक्स होता ही वाइल्ड है। हम दोनों ही अनएक्सपीरिएन्स्ड थे, बस आँखों के सामने एक धुंध सी छा गई थी। दोनों जैसे कहीं खो से गए थे। आज भी याद है वो निखरती जवानी कि रंगत और महक, वो मुलायम पतले होंठ, वो दूध से सफ़ेद दातों पर कंचन रस कि परत, वो सांसों कि गरमी, भीगे होंठ, मुलायम और एकरंग सुगन्धित शरीर, १७ साल कि सुन्दर स्मार्ट लड़की का यौवन तो होता ही खूबसूरती का भंडार है। और पहली बार किसी लड़की का बदन देखा भी तो इतनी खूबसूरत १७ साल कि लड़की का, किस्मत तो वाकई चरम पर थी, उसने आँखे खोली मेरा मुह पकड़कर अपने सीने पर रख दिया और मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया, मेने उसे पानी से बाहर निकाला और उसे ऊपर से नीचे तक जी भर कर देखा। वो रुकने को तैयार नहीं थी, मुझे फकिंग के लिए उकसा रही थी। मेने भी आव देखा न ताव लग गया। उसके बूब्स से खेला, होठों को जी भर के चाटा, उसने मेरा मुह अपने मुह के सलाइवा से पूरी तरह भर दिया था और मैने उसका। उसके शरीर का एक भी अंग अनछुआ नहीं रहा था। पूरी तरह यंग, गोरी, टोन चमड़ी का जितना मज़ा ले सकता था लिया। तीन घंटे से ज्यादा हम बाथरूम में ही ऊपर नीचे होते रहे, इतना मज़े का अनुभव ज़िंदगी में पहली बार हुआ था, मानो दुनिया की सारी खुशी उन तीन घंटों में सिमट गई हो।
अब तो ये रोज़ का काम हो गया था, दिन भर हमारा था। पूरा घर खाली पड़ा रहता था। सारे कमरे हमारे, मेरा बिस्तर उसका कमरा सब हमारी वजह से तितर बितर हो जाते। पापा मम्मी को कभी पता नहीं चला, हम घर में सेक्स लाइफ का भरपूर मज़ा ले रहे थे, वो गोलियों का इंतजाम पता नहीं कहाँ से कर लेती थी, कभी कोई परेशानी नहीं आयी, देखते देखते ही ११ साल हो गए हैं । में २६ का, प्रिया २८ की हो चुकी है।
पर अब मेरी ज़िंदगी में एक लड़की और है, क्योंकि में सारी ज़िंदगी तो अपनी बहन के साथ नहीं गुजार सकता ना पर उसने शादी नहीं की । खेर अभी कुछ बिगड़ा भी नहीं वो शादी कर भी सकती है पर पता नहीं उसके सर पर क्या भूत सवार है, वो चाहती है कि सब ऐसा ही चलता रहे। पर ये असंभव सा लगता है जब तक कि पापा मम्मी या रिश्तेदारों कि हम पर नज़र है, वो भी यह समझती है और अक्सर कहती है कि अब्रोड चलते हैं वहाँ हमें कोई नहीं पहचानेगा, बल्कि ईजिप्ट (मिस्र) चलते हैं वहाँ तो भाई-बहन का शादी करना आम बात हैं, साथ रहेंगे घर बसाएँगे और घर वालों को इस बात का थोड़ी पता चलेगा। पर मेरा मन अब उस लड़की से लग चुका है और में उसे नहीं छोड़ सकता जबकि प्रिया मुझे नहीं छोड़ना चाहती । मेने उसे लाख समझाया कि किसी और को ढूँढ लो शादी कर लो पर वो मानती नहीं है एक बच्चे कि तरह रिएक्ट करती है, कहती है तुमने मेरी पूरी ज़िंदगी को बदल कर रख दिया है अब मुझे और कुछ समझ में नहीं आता। मुझे वही लाइफ चाहिऐ में तुमसे अलग नहीं हो सकती। धमकी देती है कि उसको छोड़ो या न छोड़ो पर मुझे मेरा हक़ चाहिऐ। वर्ना में उसे नहीं छोडूंगी, किसी के लिए कम्प्रोमाइज़ कर सकती हूँ पर पीछे नहीं हटूंगी, तुम तय कर लो वर्ना में मम्मी-पापा को सब बता दूंगी।

8 comments:

geneticsindia said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

so said, that a temprory problem

Unknown said...

yaar tumhari pareshani ka hal bhi bahut serious hai

indiansexy28 said...

BHai aap ki problem bahut badi hai ise ager aap suru me hi nahi hone dete to aaj aapko iska samna nahi karna padta lekin ab pach tay kya ho jab chidiya chug gayi khet kuch aisa kaam karo taki wo aapse har waqt naraz rehne lage. i think aap samjh hi gaye honge ki me kya kehna chah raha hu

Unknown said...

aap apni sister ko kaho ki ye asambhav hai ki ek hi ma ke janme sadi naji kar sakte jo huwa wo anjane me tha abhi kuchh nahi bigda aap sadi kar lo

My Spicy Stories said...

Nice and Interesting Story and प्यार की बात Shared Ever.

Thank You.

radhe mohan said...

अपनी बहन को हमसे सेटिंग करवा दो ओ तुमको भूल जायेगी

radhe mohan said...

अपनी बहन को हमसे सेटिंग करवा दो ओ तुमको भूल जायेगी